Mokshada Ekadashi Katha 2024: दोस्तों, हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है और माना जाता है कि इस व्रत के पालन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस व्रत की पौराणिक कथा और महत्व के बिना यह व्रत अधूरा है। तो चलिए, जानते हैं Mokshada Ekadashi Katha 2024 की महिमा और इससे जुड़ी पवित्र कथा।
Mokshada Ekadashi Katha 2024 का महत्व
दोस्तों, अगर मोक्ष की बात करें तो यह जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। इस एकादशी का नाम ही ‘मोक्षदा’ है, जिसका अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए व्रत रखते हैं। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी व्रत रखने से न केवल व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, बल्कि उसके पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Mokshada Ekadashi Katha 2024 व्रत कथा
दोस्तों, पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन समय में गोकुल नामक राज्य के राजा वैखानस ने एक रात सपना देखा। उन्होंने देखा कि उनके दिवंगत पिता नर्क में कष्ट भोग रहे हैं। यह देखकर राजा अत्यंत दुखी हो गए। अगले दिन उन्होंने अपने राजपुरोहित से इस समस्या का समाधान पूछा। पुरोहित ने राजा को त्रिकालदर्शी महात्मा पर्वत का नाम सुझाया।
राजा महात्मा पर्वत के आश्रम पहुंचे और अपने पिता के मोक्ष का उपाय पूछा। महात्मा ने बताया कि उनके पिता ने अपने पूर्व जन्म में कुछ गंभीर पाप किए थे, जिसकी वजह से उन्हें नर्क में दंड भोगना पड़ रहा है। इस पाप से मुक्ति का उपाय बताते हुए महात्मा ने कहा कि राजा को मोक्षदा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और नियम से करना चाहिए।
राजा ने महात्मा की सलाह मानी और विधिपूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा। इसके प्रभाव से उनके पिता को न केवल नर्क से मुक्ति मिली, बल्कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी हुई। इस व्रत के परिणामस्वरूप राजा और उनके पिता, दोनों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
Mokshada Ekadashi Katha 2024 के नियम और पूजन विधि
दोस्तों, मोक्षदा एकादशी का व्रत करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें। व्रत के दौरान अन्न का सेवन न करें और पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें। शाम को कथा का पाठ करें और व्रत का पारण द्वादशी के दिन करें। दोस्तों, मोक्षदा एकादशी न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि यह जीवन को शांति और समृद्धि से भी भर देती है। इसलिए, इस दिन को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाएं।
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